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चांद पर भारत का उदय

उम्मीद से अच्छी लैंडिंग

लैंडर विक्रम एक मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से लैंड हुआ है। मिशन इतना सटीक रहा कि उम्मीद से अच्छी सॉफ्ट लैंडिंग हुई। विक्रम तीन मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से लैंड करने में सक्षम था।

राजीव मिश्रा

बेंगलूरु. अद्भूत, असाधारण, अविश्वसनीय और अविस्मरणीय! चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को सफलता पूर्वक उतारकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बुधवार को देश की अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। चंद्रयान -3 ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 42 दिन पहले शुरू अपनी उड़ान को चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचाकर अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत को शिखर पर बैठा दिया। यह उपलब्धि उस समय हासिल हुई जब चांद के इस हिस्से पर सूर्योदय हो रहा था। यह सूर्योदय के साथ-साथ चांद पर भारत के उदय का पल भी बन गया। पूरा देश इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना। अपने-अपने घरों और विभिन्न संस्थानों में जो जहां था वही ठहर गया। लोग इस ऐतिहासिक मौके के लाइव प्रसारण को देख रहे थे और गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हाथ में तिरंगा लेकर लाइव प्रसारण देखते रहे। मोदी ने दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि आज सफलता की अमृत वर्षा हुई है। देश ने धरती पर सपना देखा और चांद पर साकार किया।

भारतीय अंतरिक्षयान लंबी यात्रा के बाद बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरा जहां विश्व का कोई दूसरा देश अभी तक नहीं पहुंच पाया। चांद पर लैंडर विक्रम के कदम पड़ते ही बेंगलूरु के इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) स्थित मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स में बैठे वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। एक-दूसरे को गले लगा लिया और बधाइयां दी। यह वो क्षण था जिसका इंतजार देश को पिछले कई वर्षों से था। यह वो कामयाबी है जिसके लिए इसरो वैज्ञानिकों ने पिछले चार वर्षों से कड़ी मेहनत की और दिन-रात एक कर दिया। भारत अब विश्व के उन चुनिंदा अंतरिक्ष महाशक्तियों में शुमार हो गया जिसने ब्रह्मांड के किसी अन्य पिंड पर अपना यान उतारने में सफलता हासिल की है।

चंद्रमा पर पहुंचने के कुछ समय बाद लैंडर विक्रम ने भेजी पहली तस्वीर जिसमें लैंडर के पैर की परछाई नजर आ रही है।

पार्टनर होने पर खुशी

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए इसरो को बधाई। इस मिशन पर आपका पार्टनर होने पर हमें खुशी है। नासा, अमरीकी स्पेस एजेंसी

नई तकनीक का शानदार प्रदर्शन

अद्वितीय.. इसरो, चंद्रयान-3 और भारतीयों को बधाई। नई तकनीक के प्रदर्शन और किसी दूसरे खगोलीय पिंड पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग का यह शानदार तरीका है। जोसेफ एशबैकर, महानिदेशक, यूरोपीय स्पेस एजेंसी

वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत रंग लाई और आज हमने ब्रह्मांड के किसी अन्य पिंड पर उतरने की हाई इंड तकनीक हासिल कर लिए। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 की आंशिक विफलता के बाद करीब चार साल से वैज्ञानिकों की सांसों में चंद्रयान-3 बसा हुआ था। वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की और कोई कसर बाकी नहीं रहने दिया। विक्रम लैंडर की लैंडिंग के बाद विक्ट्री का साइन दिखाते इसरो चीफ सोमनाथ व साथी। वैज्ञानिक इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं कमांड नेटवर्क स्थित मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स में जश्न मनाते हुए।

यह भी पढे : चंद्रयान 3 लैंडिंग तैयारी

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Note: This information is sourced from public government resources. Please verify all details directly from official government portals for accuracy before making any decisions.