चंद्रयान-3 की अद्वितीय लक्ष्यवादी यात्रा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अद्वितीय प्रतियांत्री चंद्रयान-3 को एक उत्कृष्ट लक्ष्य के साथ चंद्रमा की साउथ पोल पर पहुँचाने की यात्रा आगामी है। यह मिशन 14 जुलाई को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था और अब यह चंद्रमा की साउथ पोल पर लैंडिंग करने की तैयारी में है। इस मिशन के सफल पूर्णांक से होने पर भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुँचने वाला पहला देश बनेगा।
मिशन की प्रारंभिक सफलता और प्रत्याशा
चंद्रयान-3 की यात्रा की प्रारंभिक मानवता में बहुत उत्साह और उम्मीद थी, जिसकी साक्षात्कार आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से हुआ था। यह मिशन चंद्रयान-2 की सफलता के बाद आगे की कदम साथी बढ़ाता है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर रखने की प्रत्याशा से भरपूर है।
मिशन के तहत कार्रवाई की योजना
चंद्रयान-3 के मिशन के तहत कई महत्वपूर्ण चरण होंगे जिनमें इसकी सफलता की कुंजी है:
रफ ब्रेकिंग फेज
चंद्रयान-3 की लैंडिंग की शुरुआत रफ ब्रेकिंग फेज से होगी, जिसमें लैंडर लैंडिंग साइट से 750 किलोमीटर दूर होगा और उसकी गति 1.6 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी। इस चरण में विक्रम के सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे ताकि लैंडिंग के समय किसी भी प्रकार की गलतियों की संभावना कम हो।
एल्टिट्यूड होल्ड फेज
इस चरण में लैंडर चंद्रमा की सतह से दूरी और ऊंचाई को नियंत्रित करेगा। विक्रम चांद्रमा की सतह की फोटो खींचेगा और उसे पहले से मौजूद फोटोज के साथ मिलाएगा ताकि सतह की स्थिति में कोई बदलाव का पता चल सके।
फाइन ब्रेकिंग फेज
इस चरण में लैंडर की गति शून्य पर आने तक कम हो जाएगी। लैंडर की पूरी तरह से वर्टिकल पोजिशन में पहुँचने के बाद, उसके सेंसर्स चालू किए जाएंगे और उसकी ऊँचाई की नापी जाएगी। फिर से फोटोज लिए जाएंगे और उन्हें कंपेयर किया जाएगा।
टर्मिनल डिसेंट फेज
इस चरण में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आने तक के लिए 131 सेकंड का समय लगेगा। लैंडर पर लगे हज़ार्ड डिटेक्शन कैमरे सतह की तस्वीरें खींचेंगे और इन तस्वीरों को मिशन की सफलता की पुष्टि के लिए उपयोग किया जाएगा। इस चरण में होने वाले गो-नो-गो टेस्ट से तय होगा कि क्या लैंडर चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतर सकता है या नहीं।
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद
जब चंद्रयान-3 चंद्रमा की साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंड हो जाएगा, तो यह नये और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान की खोज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। लैंडिंग के बाद विक्रम कम्युनिकेट करेगा, रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर जाएगा। यहाँ से वे फोटोज खींचेंगे और उन्हें पृथ्वी पर भेजेंगे, जिनसे हमें चंद्रमा की नई पहलुओं का पता चलेगा।
निष्कर्ष
चंद्रयान-3 की आगामी लैंडिंग का इंतजार भारत और दुनिया भर के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष उत्सवकों के बीच उत्सुकता से किया जा रहा है। यह मिशन भारतीय विज्ञान की ऊँचाइयों को दिखाने का महान प्रयास है और इसकी सफलता से हमारे वैज्ञानिक समुदाय का मान सम्मान और उत्साह बढ़ेगा। इसके साथ ही, यह मिशन हमें चंद्रमा की अधिक गहराईयों तक पहुँचने का एक और कदम देगा, जो अंततः मानव जाति के लिए नए अवसर खोल सकता है।