पार्वती मां के बारे में जानकारी :
- पार्वती मां हिंदू धर्म की प्रमुख देवी हैं।
- पार्वती मां को शक्ति का सबसे पोषण करने वाला पहलू मानते है।
- पार्वती मां को ब्रह्मांड की मां का पर्याय मानते है।
- पार्वती मां को दयालु और प्रेममयी देवी के रूप में जाना जाता है।
- पार्वती मां को उमा या गौरी के नाम से भी जानते है।
- पार्वती मां को मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, विवाह, और संतान की देवी भी माना जाता है।
- पार्वती मां को शिव की शक्ति के रूप में माना जाता है।
- पार्वती मां को शिव की कृपा का अवतार माना जाता है।
- पार्वती मां की कहानी शिव पुराण, हंस उपनिषद, और अन्य संस्कृत ग्रंथों में मिलती है।
- पार्वती मां की मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के हिंदू मंदिरों में भी मौजूद हैं।
- पार्वती मां को हिमालय की बेटी माना जाता है।
- दार्शनिक रूप से पार्वती मां को शिव की शक्तिके रूप में माना जाता है, जो ब्रह्मांड को बनाए रखने वाली रचनात्मक शक्ति है। इस भूमिका में पार्वती मां ब्रह्मांडीय ऊर्जा और उर्वरता का अवतार बन जाती है।
- पार्वती मां ने 108 जन्मों की घोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में पाया और पार्वती मां का भगवान शिव के प्रति अगाध प्रेम था।
- पार्वती मां मैनावती और हिमवान की बेटी थी।
पार्वती मां का मंत्र :
- सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
- शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते।।
- पार्वती मां के ग्रंथ : भागवत पुराण, महाभागवत पुराण, देवी महात्म्य, कालिका पुराण, शाक्त उपनिषद, तंत्र
- पार्वती मां के समारोह : नवरात्रि, विजयादशमी, तीज, बतुकम्म, गौरी हब्बा
- पार्वती मां के पिता : हिमवान
- पार्वती मां की माता : मैनावती
- पार्वती मां की बड़ी बहन : गंगा
- पार्वती मां का बड़ा भाई : मैनाक
- पार्वती मां के पुत्र : कार्तिकेय, गणेश
ललिता सहस्रनाम में पार्वती मां के एक हजार नामों की सूची है। पार्वती के सबसे प्रसिद्ध दो नाम उमा और अपर्णा हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार पार्वती मां के द्वारा दुर्गमसुर को मारने के बाद देवी पार्वती का नाम दुर्गा पड़ा। उमा नाम का उपयोग सती (शिव की पहली पत्नी) के लिए किया जाता है रामायण में पार्वती को उमा नाम से भी संबोधित किया है।
पार्वती शब्द की जगह अंबिका, रुद्राणी नाम का वैदिक साहित्य में प्रयोग किया जाता था। उपनिषद काल (वेदांत काल) के दूसरे उपनिषद केनोपनिषद में पार्वती मां का जिक्र मिलता है वहाँ हेमवती उमा नाम से जाना जाता है और पार्वती को सर्वोच्च परब्रह्म की शक्ति या आवश्यक शक्ति के रूप में प्रकट किया गया है। पार्वती का सती-पार्वती नाम महाकाव्य काल (400 ईसा पूर्व) में प्रकट होता है जहाँ शिव की पत्नी है।
पार्वती मां को आमतौर पर निष्पक्ष, सुंदर और परोपकारी के रूप में दर्शाया जाता है। और वह लाल पोशाक पहनती है । जब भगवान शिव के साथ चित्रित किया जाता है तो वहा दो भुजाओं के साथ दिखाई देती है लेकिन जब अकेली हो तो चार हाथों के साथ चित्रित किया गया है। प्राचीन मंदिरों में पार्वती मां की मूर्ति बछड़े या गाय के पास चित्रित दिखाई गई है।
पार्वती मां को भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिये वन में तपस्या करने गईं। अनेक वर्षों तक कठोर उपवास और घोर तपस्या के तत्पश्चात वैरागी भगवान शिव ने उनसे विवाह करना स्वीकार किया था।
भगवान शिव ने पार्वती के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा के लिये सप्तऋषियों को पार्वती के पास भेजा। उन्होंने उसे यह समझाने के प्रयत्न किये कि शिव जी औघड़, अमंगल वेषधारी और जटाधारी हैं और वे तुम्हारे लिये उपयुक्त वर नहीं हैं। भगवान शिव से विवाह करके तुम्हें सुख प्राप्ति नहीं होगी। तुम उनका ध्यान छोड़ दो।लेकिन देवी पार्वती विचारों में दृढ़ रहीं। उनकी दृढ़ता को देखकर सप्तऋषि अत्यन्त प्रसन्न हुये और उन्हें सफल मनोरथ होने का आशीर्वाद देकर शिव जी के पास आ गये। और सप्तऋषियों से पार्वती के अपने प्रति दृढ़ प्रेम का वृत्तान्त सुन कर भगवान शिव प्रसन्न हुये। फिर शिव जी और पार्वती का विवाह किया गया फिर पार्वती और भगवान शिव कैलाश पर्वत पर सुख पूर्वक रहने लगे।
पार्वती मां के 108 नाम जानें :
- आद्य
- आर्या
- अभव्या
- अएंदरी
- अग्निज्वाला
- अहंकारा
- अमेया
- अनंता
- अनेकशस्त्रहस्ता
- अनेकास्त्रधारिणी
- अनेकावारना
- अपर्णा
- अप्रौधा
- बहुला
- बहुलप्रेमा
- बलप्रदा
- भाविनी
- भव्य
- भद्राकाली
- भवानी
- भवमोचनी
- भवप्रीता
- भव्य
- ब्राह्मी
- ब्रह्मवादिनी
- बुद्धि
- बुध्हिदा
- चामुंडा
- चंद्रघंटा
- चंदामुन्दा विनाशिनी
- चिन्ता
- चिता
- चिति
- चित्रा
- चित्तरूपा
- दक्शाकन्या
- दक्शायाज्नाविनाशिनी
- देवमाता
- दुर्गा
- एककन्या
- घोररूपा
- ज्ञाना
- जलोदरी
- जया
- कालरात्रि
- किशोरी
- कलामंजिराराजिनी
- कराली
- कात्यायनी
- कौमारी
- कोमारी
- क्रिया
- क्र्रूना
- लक्ष्मी
- महेश्वारी
- मातंगी
- मधुकैताभाहंत्री
- महाबला
- महातपा
- महोदरी
- मनः
- मतंगामुनिपुजिता
- मुक्ताकेशा
- नारायणी
- निशुम्भाशुम्भाहनानी
- महिषासुर मर्दिनी
- नित्या
- पाताला
- पातालावती
- परमेश्वरी
- पत्ताम्बरापरिधान्ना
- पिनाकधारिणी
- प्रत्यक्ष
- प्रौढ़ा
- पुरुषाकृति
- रत्नप्रिया
- रौद्रमुखी
- साध्वी
- सदगति
- सर्वास्त्रधारिणी
- सर्वदाना वाघातिनी
- सर्वमंत्रमयी
- सर्वशास्त्रमयी
- सर्ववाहना
- सर्वविद्या
- सती
- सत्ता
- सत्य
- सत्यानादास वरुपिनी
- सावित्री
- शाम्भवी
- शिवदूती
- शूलधारिणी
- सुंदरी
- सुरसुन्दरी
- तपस्विनी
- त्रिनेत्र
- वाराही
- वैष्णवी
- वनदुर्गा
- विक्रम
- विमलौत्त्त्कार्शिनी
- विष्णुमाया
- वृधामत्ता
- यति
- युवती
पार्वती मां के 108 नामो के जाप करें :
- ॐ पार्वतीयै नमः
- ॐ महा देव्यै नमः
- ॐ जगन्मात्रे नमः
- ॐ सरस्वत्यै नमः
- ॐ चण्डिकायै नमः
- ॐ लोक जनन्यायै नमः
- ॐ सर्वदेवादि देवतायै नमः
- ॐ शिवदुत्यै नमः
- ॐ विशालाक्ष्यै नमः
- ॐ चामुण्डायै नमः
- ॐ विष्णु सोदर्यै नमः
- ॐ चित्कलायै नमः
- ॐ चिन्मयाकरायै नमः
- ॐ महिषासुर मर्दन्यायै नमः
- ॐ कात्यायन्यै नमः
- ॐ काला रूपायै नमः
- ॐ गौरीयै नमः
- ॐ परमायै नमः
- ॐ ईशायै नमः
- ॐ नागेन्द्र तनयै नमः
- ॐ रौद्र्यै नमः
- ॐ कालरात्र्यै नमः
- ॐ तपस्विन्यै नमः
- ॐ गिरिजायै नमः
- ॐ मेनकथमजयै नमः
- ॐ भवन्यै नमः
- ॐ जनस्थानायै नमः
- ॐ वीर पथ्न्यायै नमः
- ॐ विरुपाक्ष्यै नमः
- ॐ वीराराधिथयै नमः
- ॐ हेमा भासयै नमः
- ॐ सृष्टि रूपायै नमः
- ॐ सृष्टि संहार करिण्यै नमः
- ॐ मातृकायै नमः
- ॐ महागौर्यै नमः
- ॐ रामायै नमः
- ॐ रामायै नमः
- ॐ शुचि स्मितयै नमः
- ॐ ब्रह्म स्वरूपिण्यै नमः
- ॐ राज्य लक्ष्म्यै नमः
- ॐ शिव प्रियायै नमः
- ॐ नारायण्यै नमः
- ॐ महा शक्तियै नमः
- ॐ नवोदयै नमः
- ॐ भाग्य दायिन्यै नमः
- ॐ अन्नपूर्णायै नमः
- ॐ सदानंदायै नमः
- ॐ यौवनायै नमः
- ॐ मोहिन्यै नमः
- ॐ सथ्यै नमः
- ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
- ॐ शर्वाण्यै नमः
- ॐ देव मात्रे नमः
- ॐ त्रिलोचन्यै नमः
- ॐ ब्रह्मण्यै नमः
- ॐ वैष्णव्यै नमः
- ॐ अज्ञान शुद्ध्यै नमः
- ॐ ज्ञान गमयै नमः
- ॐ नित्यायै नमः
- ॐ नित्य स्वरूपिण्यै नमः
- ॐ कमलयै नमः
- ॐ कमलाकारायै नमः
- ॐ रक्तवर्णयै नमः
- ॐ कलानिधाय नमः
- ॐ मधु प्रियायै नमः
- ॐ कल्याण्यै नमः
- ॐ करुणायै नमः
- ॐ हरवः समायुक्त मुनि मोक्ष परायणै नमः
- ॐ धराधारा भवायै नमः
- ॐ मुक्तायै नमः
- ॐ वर मंत्रायै नमः
- ॐ शम्भव्यै नमः
- ॐ प्रणवथ्मिकायै नमः
- ॐ श्री महागौर्यै नमः
- ॐ रामजानयै नमः
- ॐ यौवनाकारायै नमः
- ॐ परमेष प्रियायै नमः
- ॐ परायै नमः
- ॐ पुष्पिन्यै नमः
- ॐ पुष्प कारायै नमः
- ॐ पुरुषार्थ प्रदायिन्यै नमः
- ॐ महा रूपायै नमः
- ॐ महा रौद्र्यै नमः
- ॐ कामाक्ष्यै नमः
- ॐ वामदेव्यै नमः
- ॐ वरदायै नमः
- ॐ वर यंत्रायै नमः
- ॐ काराप्रदायै नमः
- ॐ कल्याण्यै नमः
- ॐ वाग्भव्यै नमः
- ॐ देव्यै नमः
- ॐ क्लीं कारिण्यै नमः
- ॐ संविधेय नमः
- ॐ ईश्वर्यै नमः
- ॐ ह्रींकारं बीजायै नमः
- ॐ भय नाशिन्यै नमः
- ॐ वाग्देव्यै नमः
- ॐ वचनायै नमः
- ॐ वाराह्यै नमः
- ॐ विश्व तोशिन्यै नमः
- ॐ वर्धनेयै नमः
- ॐ विशालाक्ष्यै नमः
- ॐ कुल संपत् प्रदायिन्यै नमः
- ॐ अरथ धुकच्छेद्र दक्षायै नमः
- ॐ अम्बायै नमः
- ॐ निखिला योगिन्यै नमः
- ॐ सदापुरा स्थायिन्यै नमः
- ॐ तरोर्मुला तलंगथयै नमः
पार्वती मां की आरती जानें :
ॐ जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥ ॐ जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्म विनाशिनि, जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥ जय पार्वती माता...
सतयुग रूपशील अति सुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥ जय पार्वती माता...
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥ जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥ जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता...
पार्वती मां चालीसा जानें :
दोहा :
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,
गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि ।
चौपाई :
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।
तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।
ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए ।
कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ ।
बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन ।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।
गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।
हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।
बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।
सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।
कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।
तेहि कों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।
नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी , माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी ।
काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं ।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतप्राणा परमेश्वरी सती ।
तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी ।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।
पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।
तव तव जय जय जयउच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए ।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।
करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा ।
दोहा :
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी,
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी ।