दुर्गा मां के बारे में जानकारी :
दुर्गा मां को शक्ति की देवी मानते है।
दुर्गा मां की सवारी शेर है।
दुर्गा मां के रूप : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, कूष्मांडा, चंद्रघंटा, स्कंदमाता, कात्यायनी, महागौरी, कालरात्रि, और सिद्धिदात्री।
दुर्गा मां की उत्पत्ति असुरों के राजा महिषासुर के वध से जुड़ी है।
दुर्गा मां को सार्वभौमिक स्त्री शक्ति माना जाता है।
दुर्गा मां की नवरात्रि के दौरान के नौ रूपों की जाती है।
दुर्गा मां को रक्तपिपासु और उग्र काली के नाम से भी जाना जाता है।
दुर्गा मां का पति हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव के रूप में वर्णित हैं।
दुर्गा मां के बारे में बताया जाता है कि उनका अवतरण श्रेष्ठ पुरुषों और वेद, पुराणों की रक्षा के लिए हुआ था।
दुर्गा मां या आदिशक्ति हिन्दुओं की देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, नवदुर्गा, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, पार्वती, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से जाना जाता हैं। दुर्गा मां अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली ममतामयी मोक्ष प्रदायनी तथा कल्याणकारी देवी हैं।
हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवी माना जाता है वेदों में दुर्गा मां का व्यापाक उल्लेख है किन्तु उपनिषद में देवी उमा हैमवती का वर्णन है। दुर्गा मां शिव की पत्नी आदि शक्ति का एक रूप हैं आदि शक्ति देवी ने सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी) लक्ष्मी, और मुख्य रूप से पार्वती के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। ये तीनो रूप होकर भी दुर्गा मां एक ही है।
मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्य की रक्षा के लिए परम गुप्त, परम उपयोगी कवच व देवी सुक्त बताया है। ब्रहदेव ने बताया कि जो मनुष्य दुर्गा मां का पाठ करता है उसे सुख मिलता है। भागवत पुराण के अनुसार दुर्गा मां का अवतरण पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा और दुष्टों के दलन के लिए दुर्गा मां का अवतरण हुआ है। और ऋगवेद के अनुसार दुर्गा मां ही आदि-शक्ति है।
इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों की उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्येक दिन दुर्गा मां के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।
दुर्गा मां की पूजा नवरात्रि के छठे दिन से दशमी तिथि यानी नवरात्रि के दसवें दिन तक होती है।
दुर्गा मां की पूजा के दौरान नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
दुर्गा मां की पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
दुर्गा मां की पूजा के दौरान घर में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करते हैं और रोज़ाना पूजा-अर्चना करते हैं।
दुर्गा मां का प्रिय मंत्र जानें :
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
दुर्गा मां के 108 नाम जानें :
- सती
- साध्वी
- भवप्रीता
- भवानी
- भवमोचनी
- आर्या
- दुर्गा
- जया
- आद्या
- त्रिनेत्रा
- शूलधारिणी
- पिनाकधारिणी
- चित्रा
- चंद्रघंटा
- महातपा
- मन
- बुद्धि
- अहंकारा
- चित्तरूपा
- चिता
- चिति
- सर्वमंत्रमयी
- सत्ता
- सत्यानंदस्वरुपिणी
- अनंता
- भाविनी
- भव्या
- अभव्या
- सदागति
- शाम्भवी
- देवमाता
- चिंता
- रत्नप्रिया
- सर्वविद्या
- दक्षकन्या
- दक्षयज्ञविनाशिनी
- अपर्णा
- अनेकवर्णा
- पाटला
- पाटलावती
- पट्टाम्बरपरिधाना
- कलमंजरीरंजिनी
- अमेयविक्रमा
- क्रूरा
- सुंदरी
- सुरसुंदरी
- वनदुर्गा
- मातंगी
- मतंगमुनिपूजिता
- ब्राह्मी
- माहेश्वरी
- ऐंद्री
- कौमारी
- वैष्णवी
- चामुंडा
- वाराही
- लक्ष्मी
- पुरुषाकृति
- विमला
- उत्कर्षिनी
- ज्ञाना
- क्रिया
- नित्या
- बुद्धिदा
- बहुला
- बहुलप्रिया
- सर्ववाहनवाहना
- निशुंभशुंभहननी
- महिषासुरमर्दिनी
- मधुकैटभहंत्री
- चंडमुंडविनाशिनी
- सर्वसुरविनाशा
- सर्वदानवघातिनी
- सर्वशास्त्रमयी
- सत्या
- सर्वास्त्रधारिणी
- अनेकशस्त्रहस्ता
- अनेकास्त्रधारिणी
- कुमारी
- एककन्या
- कैशोरी
- युवती
- यति
- अप्रौढ़ा
- प्रौढ़ा
- वृद्धमाता
- बलप्रदा
- महोदरी
- मुक्तकेशी
- घोररूपा
- महाबला
- अग्निज्वाला
- रौद्रमुखी
- कालरात्रि
- तपस्विनी
- नारायणी
- भद्रकाली
- विष्णुमाय
- जलोदरी
- शिवदुती
- कराली
- अनंता
- परमेश्वरी
- कात्यायनी
- सावित्री
- प्रत्यक्षा
- ब्रह्मावादिनी।
- अंबे
दुर्गा मां की आरती जानें :
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी...
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी...
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी...
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी...
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी...
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी...
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी...
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी...
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी...
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी...
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी...
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी...
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी…
दुर्गा मां के जाप किये जाने वाले मंत्र :
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।
प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।
दुर्गा मां के भारत में टॉप मंदिर :
- नैना देवी मंदिर : नैनीताल
- ज्वाला देवी मंदिर : हिमाचल प्रदेश
- कामाख्या शक्तिपीठ गुवाहाटी, असम
- करणी माता मंदिर : राजस्थान
- दक्षिणेश्वर काली मंदिर : कोलकाता
- अम्बाजी मंदिर : गुजरात
- दुर्गा मंदिर : वाराणसी
- श्री महालक्ष्मी मंदिर : कोल्हापुर
- श्रीसंगी कलिका मंदिर : कर्नाटक
- दंतेश्वरी मंदिर : छत्तीसगढ़