बिजली चोरी रोकने जाने वाली टीम को ही सुरक्षा उपलब्ध नहीं हो सके तो फिर ऐसी घटनाएं रोकेगा कौन?
तमाम सख्त कानून-कायदों के बावजूद प्रदेश में बिजली चोरी की रोकथाम के प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। बिजली चोरी करने वालों की जुर्रत यहां तक हो गई कि वे कार्मिकों पर हमला करने से भी नहीं चूकते। सीकर जिले की एक ढाणी में बिजली चोरी रोकने पहुंची विद्युत विभाग की टीम पर गोलियां तक दाग दी गईं। इस घटनाक्रम में बिजली कंपनी के सहायक अभियंता घायल हो गए। चिंता की बात यह है कि बिजली चोरी रोकने के एक नहीं, बल्कि अनेक मामलाें में संबंधित प्रवर्तन दस्ते को ऐसे हमलों का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसी घटनाएं कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बयां करती हैं। बिजली छीजत के मामलों में सबसे ज्यादा बिजली चोरी का जिक्र आता है। कई जगह तो लोग सामूहिक रूप से बिजली चोरी करते हैं। दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों की तो छोड़े राजधानी जयपुर समेत कई बड़े शहरों में भी बिजली चोरी को रोकना मुश्किल हो रहा है। रहा सवाल सुरक्षा बंदोबस्त का, तो यदि बिजली चोरी रोकने जाने वाली टीम को ही सुरक्षा उपलब्ध नहीं हो सके तो फिर ऐसी घटनाएं रोकेगा कौन?
एक तथ्य यह भी है कि बिजली कंपनियों के बिजली चोरी रोकने के इंतजाम भी आधे-अधूरे हैं। कहीं से कोई शिकायत आ जाए तो ये कंपनियां हरकत में आती हैं। अन्यथा जिस तरह से बिजली की छीजत होती है, उसमें बदइंतजामी ही सामने आती है। बिजली कंपनियों के घाटे को लेकर भी बातें तो खूब होती हैं, लेकिन इस छीजत को कम करने की चिंता कोई नहीं करता। छीजत पर काबू पा लिया जाए, तो कंपनियों का घाटा ही कम नहीं होगा, उपभोक्ताओं की जेब भी कम ढीली होगी। आज तो राजस्थान सबसे महंगी बिजली देने वाले प्रदेशों में शुमार है। यह बात दूसरी है कि मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं के जरिए सरकार लोगों को इस भार से मुक्ति दिलाने का दावा कर रही है। बिजली कंपनियों को घाटे पर काबू पाना है, तो बिजली चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाना ही होगा। ये चोरियां तभी रुकेंगी, जब अपराधियों के मन में कानून-व्यवस्था का भय होगा। अगर अपराधी बेखौफ रहे, तो छीजत बढ़ती जाएगी और आम उपभोक्ता पिसता जाएगा। जरूरत संबंधित कार्मिकों की सुरक्षा पुख्ता करने की है। बिजली कंपनियों के प्रबंधन में सुधार नहीं हुआ तो उसकी कीमत हम सबको चुकानी पड़ेगी।
- संदीप पुरोहित