खाती समाज का इतिहास जानें :
खाती भारतीय हिन्दू जाति है। यह भारत के मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान ,पंजाब में रहते है। खाती समाज का पारम्परिक व्यवसाय कृषि और पशुपालन है। मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र (उज्जैन, देवास, इंदौर, शाजापुर ,सीहोर, मंदसौर, नीमच, खंडवा, खरगोन, भोपाल, धार, रायसेन, राजगढ़, विदिशा) में खाती जाति ज्यादा पाई जाती है।
खाती समाज के कुलदेवता : भैरव देव
खाती समाज के आराध्या देवता : भोले शंकर
खाती समाज के इष्टदेव : भगवान जगदीश
खाती समाज की कुलदेवी : महागौरी अष्टमी
खाती समाज के लिए प्रसिद्द दोहे जानें :
उत्तर देसी पटक मूल, नभर नाभयपुर रे, शंकर सदा सहाय, चन्द्रवंश सेवा करी, चंद्रवंशम गोकुलनंदम जयति।
खाती समाज भगवान परशुराम जी के आशीर्वाद से उत्त्पन्न जाती है इस जाती के लोग सुन्दर और गोर वर्ण अर्थात "गोरे" होते है क्षत्रिय खाती समाज जम्मू कश्मीर के अभेपुर और नभेपुर के मूल निवासी है आज भी चंद्रवंशी लोग हिमालय क्षेत्र में केसर की खेती करते है ।
खाती समाज की कुलदेवी महागौरी अष्टमी दुर्गा माता का आठवा रूप है। इसे खाती समाज की शक्ति उपासना मानते है। महिनो पहले ही गौरी माँ की पूजन की तैयारी शुरू हो जाती है । देश विदेश से लोग अष्टमी पूजन के लिए घर आते है
भगवान वेदव्यास जी ने कहा : "है माता आप स्मरण मंत्र से ही भयो का विनाश कर देती हो।” माता महागौरी की पूजा गंध, पुष्प, धुप, दीप और नैवेध से की जाती है ममता, समता और क्षमता की त्रिवेणी का नाम माँ है | पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती और पूजा के अंत में माता से क्षमा मांगी जाती है।
खाती समाज की उत्पत्ति के बारे में जानें :
उत्पत्ति स्कंदपुराण के नागर खंड में एवं श्री विश्वकर्मा पुराण में काष्ठकार का वर्णन मिलता हैं जो भगवान विश्वकर्मा के पांचों संतानों मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ में से महर्षि मय के अनुयायी/वंशज ही काष्ठकार समुदाय (वर्तमान में खाती/जांगिड़/बढ़ई/सुथार) के नाम से जाने जाते हैं।
खाती समाज एक दलित बढ़ई जाति है इन्हे उन्हें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है और जांगड़ा या जांगिड़ का उपयोग करते हैं।
महान ग्रंथों के आधार पर खाती सूर्यवंशी माने जाते हैं और भगवान राम के वंशज भी हैं। खाती समाज क्षत्रिय हैं अधिकांश खाती द्विधार्मिक हिंदू ( हिंदू और सिख दोनों धर्मों पर विश्वास) हैं।
माना जाता है कि खाती समाज का उद्भव आज से करीब साढ़े चार हजार साल पहले राजा कीर्तिवीर्य अर्जुन अर्थात सहस्र्बाहु के वंशजों से उत्पन्न हुआ है। वही दूसरी और एक एक अन्य मान्यता के अनुसार खाती समाज भगवन परशुराम जी के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए है।
क्षत्रिय खाती समाज जम्मू कश्मीर के अभेपुर और नभेपुर के मूल निवासी है आज भी चंद्रवंशी लोग हिमालय क्षेत्र में केसर की खेती करते है । खाती समाज ने 1200 वर्ष पहले से ही जम्मू-कश्मीर से पलायन करना प्रारम्भ कर दिया था और भारत के अन्य राज्यों में बसने लग गये थे। देश के अन्य राज्यों से पलायन करते हुए खेती की उपलब्धता के चलते मध्य प्रदेश में रहने लगे और अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम से समाज के लोगों ने यहाँ की बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना लिया था।
खेती के कार्यों को संपन्न करने के लिए अत्यधिक संख्या और बल की आवश्यकता के कारण समाज के लोगों में संयुक्त परिवार में रहने की संस्कृति भी रही है। जिससे खाती समाज के लोगों में सामंजस्यता का उद्धभव हुआ जो आज खाती समाज की संस्कृति के रूप में पहचानी जाती है।
मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में चंद्रवंशी खाती समाज के इष्ट देव जगदीश का भव्य प्राचीन मंदिर है जहा हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितिय को भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है समाज के लोग और भक्तजन अपने हाथो से रथ खींचकर भगवान को नगर में भ्रमण करवाते है |
खाती समाज के गोत्र जानें :
- भंवरसिया (Bhanvrasiya)
- बोर्दिया (Dordiya)
- गुन्घोडिया (Gunghodiya)
- ननधारिया (Kanodhariya)
- कण्ठगरिया (Kanthgariya)
- धनबरदाय (Dhanbardaya)
- अज्वास्य (Ajvasya)
- ननदिया (Nanodiya)
- बाघोदारया (Baghodaraya)
- आंसावरिया (Aansavariya)
- वजन्य देवाय (Vajenya-Devaya)
- चिक्लोद मान्य (Chiklod-Manya)
- मंगरोलिया (Mangroliya)
- किरतपुरिया (Kiratpuriya)
- सलोनाराय (Salonaraya)
- विरोट्या (Virotya)
- छिबड़िया (Chhibadiya)
- कुरंदनस्य (Kurandansya)
- संभत हेडिया (Sumbhat-Hediya)
- दलोंड्रिया (Dalodriya)
- इन्द्रिय (Indriya)
- विरोठिया (Virothiya)
- वरसखीरिया (Varaskhiriya)
- इच्छावरिया (Icchhavariya)
- आकासोदिया (Aakasodiya)
- ताजपुरिया
- संदोरन्य (Sandoranya)
- उछोड़िया (Uchodiya)
- अलवण्या (Alvanya)
- देवतारया (Devtaraya)
- भैसोदिया (Bhaisodiya)
- मण्डलवड़िया (Mandalavdiya)
- गोळ्या (Golya)
- जगोठिया (Jagothiya)
- केलोडिया (Kelodiya)
- रुदड़िया (Rudadiya)
- पार्सवडिया (Parsavdiya)
- देवदालिया (Devdaliya)
- भादरिया (Bhaderiya)
- कनसिया (Kanasiya)
- बींजलिया (Binjaliya)
- सोठड़िया (Sothadiya)
- सवासिया (Savasiya)
- सोनानिया (Sonaniya)
- सूतिया (Soothiya)
- सिसोदिया (Sisodiya)
- शिवदासिया (Shivdasiya)
- सरोजिया (Sarojiya)
- सग्वलिया (Sagwaliya)
- रिनोदिया (Rinodiya)
- रणवासिया (Ranvasiya)
- भड़लावड़िया (Bhadlavdiya)
- भठुरिया (Bhathuriya)
- भैसरोदिया (Bhaisrodiya)
- भैसानिया (Bhaisaniya)
- भदोड़िया (Bhdodiya)
- भमोरिया (Bhamoriya)
- बिनरोटिया (Binrotiya)
- बीजलपुरिया (Bijalpuriya)
- बिलावलिया (Bilavliya)
- बडबडोदिया (Badbadodiya)
- सिरसोडिया (Sirsodiya)
- बबुलडिया (Babuldiya)
- बरनवाया (Baranvaya)
- बरनासिया (Barnasiya)
- पंचोरिया (Panchoriya)
- धनोरिया (Dhnoriya)
- देवथलिया (Devthliya)
- देथलिया (Dethliya)
- ठेंगलिया (Thengliya)
- तुमड़िया ,तोमर (Tumdiya,tomar)
- तंडिया (Tamdiya)
- तिलवडिया (Tilavdiya)
- ठीकरोडिया (Thikrodiya)
- डिंगरोडिया (Dingrodiya)
- झलवाया (Jhalvaya)
- जवारिया (Javariya)
- जमलिया ,जमले (Jamliya/Jamle)
- कामोठिया (Kaamothiya)
- जमगोड़िया (Jamgodiya)
- जलोदिया (Jalodiya)
- चौरसिया (Chourasiya)
- चंदवासिया (Chandvasiya)
- ग्वालिया (Gavaliya)
- गुरवादिया (Guravadiya)
- गिड़गिड़ाया (Gidgidaya)
- गिरितिया (Kiritiya)
- खिरबाड़ोदिया (Khirbadodiya)
- खचरोडिया (Khachrodiya)
- खरलीय (Kharaliya)
- खेवसिया (Khevasiya)
- खजुरिया (Khajuriya)
- केलिए (Keliya)
- कुलखंडिया (Kulkhandiya)
- कसया (Kasanya)
- करंजिया (Karanjiya)
- कसुन्दरिया (Kasundariya)
- कल्मोदिया (Kalmodiya)
- करनावडिया (Karnavdiya)
- उपलवड़िया (Uplavdiya)
- ितवदिया (Itavdiya)
- अकोलिया (Akoliya)
- अम्लवड़िया (Amlavdiya)
- अलेरिया (Aleriya)
- अजनावडिया(Ajnavdiya)
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