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Information about Lord Ganesha: भगवान गणेश जी के बारे में जानकारी

भगवान गणेश जी के बारे में जानकारी :

  • गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। गणेश जी की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू धर्म में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने से पहले लिया जाता है।

गणेश जी का जन्म :

  • माथुर ब्राह्मणों के इतिहास अनुसार अनुमानत: 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय हुआ था। और पौराणिक मत के अनुसार सतुयग में हुआ था। जन्म स्थान कैलाश मानसरोवार या उत्तरकाशी जिले का डोडीताल में बताया जाता है।

गणेश जी के मस्तक के बारे में जानें :

  • गणेश जी को गजानन इसलिए कहा गया कि उनके सिर को भगवान शंकर ने काट दिया था। बाद में उनके धड़ पर हाथी का सिर लगा कर उन्हें पुन: जीवित किया गया था। और यह भी बताया जाता है कि शनिदेव जब बाल गणेश को देखने गए थे तब  उनकी दृष्टि से गणेश जी का मस्तक भस्म हो गया था बाद में विष्णुजी ने एक हाथी का सिर उनके धड़ पर लगाकर उन्हें पुनर्जिवित किया था।

गणेश जी की पसंद जानें :

  • गणेश जी का प्रिय भोग मोदक लड्डू, प्रिय पुष्प लाल रंग के फूल, प्रिय वस्तु दुर्वा (दूब), प्रिय वृक्ष शमी-पत्र, केल, केला आदि हैं। केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर गणेश जी की पूजा और आरती की जाती है। और मोदक के लड्डू अर्पित किये जाते है।

भगवान गणेश जी का स्वरूप जानें :

  • गणेश जी जल तत्व के अधिपति, बुधवार और चतुर्थी के स्वामी और केतु एवं बुध के ग्रहाधिपति गणेश जी के प्रभु अस्त्र पाश और अंकुश है। गणेश जी मूषक पर सवार रहते हैं। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। तथा वे रक्त चंदन धारण करते हैं।
  • गणेश जी का सतयुग में वाहन सिंह है और उनकी 10 भुजाएं हैं तथा नाम विनायक है। 
  • गणेश जी का त्रेतायुग में वाहन मयूर है तथा 6 भुजाएं और रंग श्वेत है इसीलिए उनको मयूरेश्वर कहा गया है।
  • द्वापरयुग में उनका वाहन मूषक है और उनकी 4 भुजाएं हैं। इस युग में वे गजानन नाम से प्रसिद्ध हैं और वर्ण लाल है।
  • कलियुग में उनका वाहन घोड़ा है और वर्ण धूम्रवर्ण है। इनकी 2 भुजाएं हैं और इस युग में उनका नाम धूम्रकेतु है।

गणेश जी ग्रंथ जानें :

  • गणेश जी का गाणपतेय संप्रदाय है। गणेश जी के ग्रंथ : गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, गणेशजी की आरती, श्रीगणेश सहस्रनामावली, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, गणपति अथर्वशीर्ष, गणेशकवच, ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र, संतान गणपति स्तोत्र, मयूरेश स्तोत्र आदि आते है।

गणेश जी के जीवन से जुड़े प्रसंग जानें :

  • मस्तक प्रसंग, पृथ्‍वी प्रदक्षिणा प्रसंग, मूषक (गजमुख) वाहन प्राप्ति प्रसंग, गणेश विवाह प्रसंग, विष्णु विवाह में उन्हें नहीं बुलाने का प्रसंग, संतोषी माता उत्पत्ति प्रसंग, असुर (देवतान्तक, सिंधु दैत्य, सिंदुरासुर, मदासुर, मत्सरासुर, मोहासुर, कामासुर, लोभासुर, क्रोधासुर, ममासुर, अहंतासुर) वध प्रसंग, महाभारत लेखन प्रसंग आदि है।

गणेश जी के बारे में और जानें :

गणेश जी के पिता : शंकर भगवान/महादेव

गणेश जी की माता : माता पार्वती

गणेश जी के भाई : श्री कार्तिकेय, अय्यप्पा

गणेश जी की बहन : अशोकसुन्दरी , मनसा देवी , देवी ज्योति

गणेश जी की पत्नी : ऋद्धि, सिद्धि

गणेश जी के पुत्र : शुभ, लाभ

गणेश जी की पुत्री : संतोषी माता

गणेश जी का प्रिय भोग : मोदक, लड्डू

गणेश जी के प्रिय वस्त्र : हरा और लाल

गणेश जी के प्रिय पुष्प : लाल रंग के

गणेश जी की प्रिय वस्तु : दुर्वा (दूब), शमी-पत्र

गणेश जी का वाहन : मूषक

 

गणेश जी के 108 नाम जानें :

  1. गजानन :- ॐ गजाननाय नमः
  2. गणाध्यक्ष :- ॐ गणाध्यक्षाय नमः
  3. विघ्नराज :- ॐ विघ्नराजाय नमः
  4. विनायक :- ॐ विनायकाय नमः
  5. द्वैमातुर :- ॐ द्वैमातुराय नमः
  6. द्विमुख :- ॐ द्विमुखाय नमः
  7. प्रमुख :- ॐ प्रमुखाय नमः
  8. सुमुख :-ॐ सुमुखाय नमः
  9. कृति- ॐ कृतिने नमः
  10. सुप्रदीप :- ॐ सुप्रदीपाय नमः
  11. सुखनिधी :- ॐ सुखनिधये नमः
  12. सुराध्यक्ष :- ॐ सुराध्यक्षाय नमः
  13. सुरारिघ्न :- ॐ सुरारिघ्नाय नमः
  14. महागणपति :- ॐ महागणपतये नमः
  15. मान्या :- ॐ मान्याय नमः
  16. महाकाल :- ॐ महाकालाय नमः
  17. महाबला :- ॐ महाबलाय नमः
  18. हेरम्ब :- ॐ हेरम्बाय नमः
  19. लम्बजठर :- ॐ लम्बजठरायै नमः
  20. ह्रस्वग्रीव :- ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः
  21. महोदरा :- ॐ महोदराय नमः
  22. मदोत्कट :- ॐ मदोत्कटाय नमः
  23. महावीर :- ॐ महावीराय नमः
  24. मन्त्रिणे :- ॐ मन्त्रिणे नमः
  25. मङ्गल स्वरा :- ॐ मङ्गल स्वराय नमः
  26. प्रमधा :- ॐ प्रमधाय नमः
  27. प्रथम :- ॐ प्रथमाय नमः
  28. प्रज्ञा :- ॐ प्राज्ञाय नमः
  29. विघ्नकर्ता :- ॐ विघ्नकर्त्रे नमः
  30. विघ्नहर्ता :- ॐ विघ्नहर्त्रे नमः
  31. विश्वनेत्र :- ॐ विश्वनेत्रे नमः
  32. विराट्पति :- ॐ विराट्पतये नमः
  33. श्रीपति :- ॐ श्रीपतये नमः
  34. वाक्पति :- ॐ वाक्पतये नमः
  35. शृङ्गारिण :- ॐ शृङ्गारिणे नमः
  36. अश्रितवत्सल :- ॐ अश्रितवत्सलाय नमः
  37. शिवप्रिय :- ॐ शिवप्रियाय नमः
  38. शीघ्रकारिण :- ॐ शीघ्रकारिणे नमः
  39. शाश्वत :- ॐ शाश्वताय नमः
  40. बल :- ॐ बल नमः
  41. बलोत्थिताय :- ॐ बलोत्थिताय नमः
  42. भवात्मजाय :- ॐ भवात्मजाय नमः
  43. पुराण पुरुष :- ॐ पुराण पुरुषाय नमः
  44. पूष्णे :- ॐ पूष्णे नमः
  45. पुष्करोत्षिप्त वारिणे :- ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः ।
  46. अग्रगण्याय :- ॐ अग्रगण्याय नमः
  47. अग्रपूज्याय :- ॐ अग्रपूज्याय नमः
  48. अग्रगामिने :- ॐ अग्रगामिने नमः
  49. मन्त्रकृते :- ॐ मन्त्रकृते नमः
  50. चामीकरप्रभाय :- ॐ चामीकरप्रभाय नमः
  51. सर्वाय :- ॐ सर्वाय नमः
  52. सर्वोपास्याय :- ॐ सर्वोपास्याय नमः
  53. सर्व कर्त्रे :- ॐ सर्व कर्त्रे नमः
  54. सर्वनेत्रे- ॐ सर्वनेत्रे नमः
  55. सर्वसिद्धिप्रदाय :- ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
  56. सिद्धये :- ॐ सिद्धये नमः
  57. पञ्चहस्ताय :- ॐ पञ्चहस्ताय नमः
  58. पार्वतीनन्दनाय :- ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः
  59. प्रभवे :- ॐ प्रभवे नमः
  60. कुमारगुरवे :- ॐ कुमारगुरवे नमः
  61. अक्षोभ्याय :- ॐ अक्षोभ्याय नमः
  62. कुञ्जरासुर भञ्जनाय :- ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः
  63. प्रमोदाय :- ॐ प्रमोदाय नमः
  64. मोदकप्रियाय :- ॐ मोदकप्रियाय नमः
  65. कान्तिमते :- ॐ कान्तिमते नमः
  66. धृतिमते :- ॐ धृतिमते नमः
  67. कामिने :- ॐ कामिने नमः
  68. कपित्थपनसप्रियाय :- ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः
  69. ब्रह्मचारिणे :- ॐ ब्रह्मचारिणे नमः
  70. ब्रह्मरूपिणे :- ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः
  71. ब्रह्मविद्यादि दानभुवे :- ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः
  72. जिष्णवे :- ॐ जिष्णवे नमः
  73. विष्णुप्रियाय :- ॐ विष्णुप्रियाय नमः
  74. भक्त जीविताय :- ॐ भक्त जीविताय नमः
  75. जितमन्मधाय :- ॐ जितमन्मधाय नमः
  76. ऐश्वर्यकारणाय :- ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः
  77. ज्यायसे :- ॐ ज्यायसे नमः
  78. यक्षकिन्नेर सेविताय :- ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः
  79. गङ्गा सुताय :- ॐ गङ्गा सुताय नमः
  80. गणाधीशाय :- ॐ गणाधीशाय नमः
  81. गम्भीर निनदाय :- ॐ गम्भीर निनदाय नमः
  82. वटवे :- ॐ वटवे नमः
  83. अभीष्टवरदाय :- ॐ अभीष्टवरदाय नमः
  84. ज्योतिषे :- ॐ ज्योतिषे नमः
  85. भक्तनिधये :- ॐ भक्तनिधये नमः
  86. भावगम्याय :- ॐ भावगम्याय नमः
  87. मङ्गलप्रदाय :- ॐ मङ्गलप्रदाय नमः
  88. अव्यक्ताय :- ॐ अव्यक्ताय नमः
  89. अप्राकृत पराक्रमाय :- ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः
  90. सत्यधर्मिणे :- ॐ सत्यधर्मिणे नमः
  91. सखये :- ॐ सखये नमः
  92. सरसाम्बुनिधये :- ॐ सरसाम्बुनिधये नमः
  93. महेशाय :- ॐ महेशाय नमः
  94. दिव्याङ्गाय :- ॐ दिव्याङ्गाय नमः
  95. मणिकिङ्किणी मेखालाय :- ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः
  96. समस्त देवता मूर्तये :- ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः
  97. सहिष्णवे :- ॐ सहिष्णवे नमः
  98. सततोत्थिताय :- ॐ सततोत्थिताय नमः
  99. विघातकारिणे :- ॐ विघातकारिणे नमः
  100. विश्वग्दृशे :- ॐ विश्वग्दृशे नमः
  101. विश्वरक्षाकृते :- ॐ विश्वरक्षाकृते नमः
  102. कल्याणगुरवे :- ॐ कल्याणगुरवे नमः
  103. उन्मत्तवेषाय :- ॐ उन्मत्तवेषाय नमः
  104. अपराजिते :- ॐ अपराजिते नमः
  105. समस्त जगदाधाराय :- ॐ समस्त जगदाधाराय नमः
  106. सर्वैश्वर्यप्रदाय :- ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः
  107. आक्रान्त चिद चित्प्रभवे :- ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः
  108. श्री विघ्नेश्वराय :- ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः

 

गणेश जी आरती जानें :

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

भगवान गणेश की जय॥

 

गणेश के सभी रूप जानें :

श्री बाल गणपति

तरुण गणपति

भक्त गणपति

वीर गणपति

शक्ति गणपति

द्विज गणपति

सिद्धि गणपति

उच्छिष्ट गणपति

विघ्न गणपति

क्षिप्र गणपति

हेरम्ब गणपति

लक्ष्मी गणपति

महागणपति

विजय गणपति

नृत्त गणपति

उर्ध्व गणपति

एकाक्षर गणपति

वर गणपति

त्र्यक्षर गणपति

क्षिप्रप्रसाद गणपति

हरिद्रा गणपति

एकदंत गणपति

सृष्टि गणपति

उद्दंड गणपति

ऋणमोचन गणपति

ढुण्ढि गणपति

द्विमुख गणपति

त्रिमुख गणपति

सिंह गणपति

योग गणपति

दुर्गा गणपति

संकष्टहरण गणपति

 

गणेश चालीसा जानें :

दोहा :

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।

विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

चौपाई :

जय जय जय गणपति गणराजू ।

मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।

विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।

चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।

गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।

मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।

अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।

पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।

तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।

मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।

बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।

पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।

पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।

लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।

नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।

सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।

देखन भी आये शनि राजा ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।

बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।

उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।

का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।

शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।

बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।

सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।

शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।

काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।

प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।

प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।

पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।

रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।

तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।

शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।

करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।

जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।

अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥

दोहा :

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।

नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।

पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ॥

 

भारत में गणेश जी के टॉप 10 मंदिर जानें :

सिद्धिविनायक मंदिर : मुंबई, महाराष्ट्र

कनिपकम विनायक मंदिर : चित्तूर, आंध्र प्रदेश

कोट्टाराक्कारा गणपति मंदिर : कोल्लम, केरल

रॉकफोर्ट उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर : त्रिची, तमिलनाडु

गणेश टोक मंदिर : गंगटोक, सिक्किम

रणथंभौर गणेश मंदिर : राजस्थान

मनाकुला विनयगर मंदिर : पांडिचेरी

आदि विनायक मंदिर : तमिलनाडु

खजराना गणेश मंदिर, इंदौर : मध्य प्रदेश

दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर : पुणे, महाराष्ट्र

 

राजस्थान में गणेश जी के टॉप मंदिर जानें :

त्रिनेत्र मंदिर : रणथंभौर

गढ़ गणेश मंदिर : जयपुर

मोती डूंगरी मंदिर : जयपुर

सिद्ध गजानंद मंदिर : जोधपुर

बोहरा गणेश मंदिर : उदयपुर

नहर के गणेश मंदिर : जयपुर

 

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