WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

ब्राह्मणों के गोत्र व उनके बारे में यहां से देखे

ब्राह्मणों के बारे में

हिन्दू धर्म में ब्राह्मण जाति को सबसे ऊपर रखा गया है। लेकिन आज भी बहुत कम लोग ब्राह्मणों के बारे में जानते हैं कि ब्राह्मण कितने प्रकार के होते हैं। और उनके गोत्र क्या हैं।

आज भी सभी को ब्राह्मण होने का अधिकार है। चाहे वह किसी भी जाति, प्रांत या संप्रदाय का हो, गायत्री दीक्षा लेकर ब्राह्मण बन सकता है, लेकिन नियमों का पालन करना होता है।  

पुराणों में ब्राह्मण के 8 प्रकार बताए गए हैं:- 
मात्र 
ब्राह्मण
श्रोत्रिय
अनुचान
भ्रूण
ऋषिकल्प
ऋषि 
मुनि। 
ब्राह्मण को धर्मज्ञ विप्र और द्विज भी कहा जाता है।

1. मात्र : ऐसे ब्राह्मण जो जाति से ब्राह्मण हैं लेकिन कर्म से ब्राह्मण नहीं हैं, ऐसे ब्राह्मण को मात्र कहते हैं। 

2. ब्राह्मण: जो ईश्वर में विश्वास करते हैं, वेदों का अध्ययन करते हैं, ब्रह्म का पालन करते हैं, सरल होते हैं, एकांत प्रिय होते हैं, सत्यवादी होते हैं और बुद्धि में प्रबल होते हैं, उन्हें ब्राह्मण कहते हैं।

3. श्रोत्रिय: स्मृति के अनुसार जो व्यक्ति वेद की किसी एक शाखा को कल्प और छह अंगों सहित पढ़कर छह ब्राह्मणीय कर्मकाण्डों में संलग्न रहता है, उसे 'श्रोत्रिय' कहते हैं।

4. अनुचान: जो व्यक्ति वेद और वेदांगों का ज्ञाता, निष्पाप, शुद्धचित्त, श्रेष्ठ, श्रोत्रिय विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला और विद्वान होता है, उसे 'अनुचान' माना जाता है।

5. भ्रूण: जो व्यक्ति अनुचान के सभी गुणों से युक्त है तथा केवल यज्ञ और स्वाध्याय में ही लगा रहता है, ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी इन्द्रियों को वश में कर लिया है, उसे भ्रूण कहते हैं।

6. ऋषिकल्प: जो व्यक्ति सभी वेदों, स्मृतियों और सांसारिक विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है, अपने मन और इन्द्रियों को वश में कर लेता है तथा सदैव ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए आश्रम में रहता है, उसे ऋषिकल्प कहते हैं।

7. ऋषि: ऐसा व्यक्ति ब्रह्मचारी रहते हुए उचित आहार-विहार, रहन-सहन आदि करके संदेह और संशय से परे होता है तथा सत्यनिष्ठ और योग्य व्यक्ति  जिसके श्राप और अनुग्रह फलित होने लगे हैं, उसे ऋषि कहते हैं।

8. मुनि: जो व्यक्ति निवृत्ति मार्ग में स्थित है, सभी तत्वों को जानता है, ध्यान में लीन है, अपनी इन्द्रियों को वश में कर लिया है तथा सिद्ध है, ऐसे ब्राह्मण को 'मुनि' कहते हैं।


ब्राह्मण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अथर्ववेद का पाठ करने वाले ऋषियों के लिए किया गया था। तब प्रत्येक वेद को समझने के लिए लिखे गए ग्रंथों को भी ब्राह्मण साहित्य कहा जाता था। तब ब्राह्मण किसी जाति या समाज से संबंधित नहीं थे।

सम्पूर्ण भारत में ब्राह्मण विभिन्न उपनामों से जाने जाते हैं, जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में दीक्षित, शुक्ला, द्विवेदी त्रिवेदी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में जोशी, जोशी उप्रेती त्रिवेदी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के कुछ भागों में जोशी, त्रिवेदी भार्गव, अवध (मध्य उत्तर प्रदेश) और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से उत्पन्न डाकोतखंड ब्राह्मण, ऋषिश्वर, वशिष्ठ, कौशिक, भारद्वाज, सनाढ्य ब्राह्मण, राय ब्राह्मण, त्यागी, जिझोतिया ब्राह्मण, राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में राम पाल, बैरागी वैष्णव ब्राह्मण, बाजपेयी, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल और नेपाल में भूमिहार, जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा के कुछ भागों में माहियाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गालव, गुजरात में श्रीखंड, भातखंडे अनाविल, महाराष्ट्र के महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण, मुख्यतः देशस्थ, कोंकणस्थ, दैवज्ञ, देवरुखे और करहड़े। ब्राह्मणों में चितपावन और कर्वे, कर्नाटक में निषाद अयंगर और हेगड़े, केरल में नम्बूदरीपाद, तमिलनाडु में अयंगर और अय्यर, आंध्र प्रदेश में नियोगी और राव, उड़ीसा आदि में दास और मिश्रा तथा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार में शाकद्वीपीय (मग) तथा उत्तर प्रदेश आदि में कहीं-कहीं जोशी जाति भी पाई जाती है।

ब्राह्मणों के मुख्य गोत्र 

(1) गौड़ ब्राम्हण,
(2)गुजरगौड़ ब्राम्हण (मारवाड,मालवा)
(3) श्री गौड़ ब्राम्हण,
(4) गंगापुत्र गौडत्र ब्राम्हण,
(5) हरियाणा गौड़ ब्राम्हण,
(6) वशिष्ठ गौड़ ब्राम्हण,
(7) शोरथ गौड ब्राम्हण,
(8) दालभ्य गौड़ ब्राम्हण,
(9) सुखसेन गौड़ ब्राम्हण,
(10) भटनागर गौड़ ब्राम्हण,
(11) सूरजध्वज गौड ब्राम्हण(षोभर),
(12) मथुरा के चौबे ब्राम्हण,
(13) वाल्मीकि ब्राम्हण,
(14) रायकवाल ब्राम्हण,
(15) गोमित्र ब्राम्हण,
(16) दायमा ब्राम्हण,
(17) सारस्वत ब्राम्हण,
(18) मैथल ब्राम्हण,
(19) कान्यकुब्ज ब्राम्हण,
(20) उत्कल ब्राम्हण,
(21) सरवरिया ब्राम्हण,
(22) पराशर ब्राम्हण,
(23) सनोडिया या सनाड्य,
(24)मित्र गौड़ ब्राम्हण,
(25) कपिल ब्राम्हण,
(26) तलाजिये ब्राम्हण,
(27) खेटुवे ब्राम्हण,
(28) नारदी ब्राम्हण,
(29) चन्द्रसर ब्राम्हण,
(30)वलादरे ब्राम्हण,
(31) गयावाल ब्राम्हण,
(32) ओडये ब्राम्हण,
(33) आभीर ब्राम्हण,
(34) पल्लीवास ब्राम्हण,
(35) लेटवास ब्राम्हण,
(36) सोमपुरा ब्राम्हण,
(37) काबोद सिद्धि ब्राम्हण,
(38) नदोर्या ब्राम्हण,
(39) भारती ब्राम्हण,
(40) पुश्करर्णी ब्राम्हण,
(41) गरुड़ गलिया ब्राम्हण,
(42) भार्गव ब्राम्हण,
(43) नार्मदीय ब्राम्हण,
(44) नन्दवाण ब्राम्हण,
(45) मैत्रयणी ब्राम्हण,
(46) अभिल्ल ब्राम्हण,
(47) मध्यान्दिनीय ब्राम्हण,
(48) टोलक ब्राम्हण,
(49) श्रीमाली ब्राम्हण,
(50) पोरवाल बनिये ब्राम्हण,
(51) श्रीमाली वैष्य ब्राम्हण
(52) तांगड़ ब्राम्हण,
(53) सिंध ब्राम्हण,
(54) त्रिवेदी म्होड ब्राम्हण,
(55) इग्यर्शण ब्राम्हण,
(56) धनोजा म्होड ब्राम्हण,
(57) गौभुज ब्राम्हण,
(58) अट्टालजर ब्राम्हण,
(59) मधुकर ब्राम्हण,
(60) मंडलपुरवासी ब्राम्हण,
(61) खड़ायते ब्राम्हण,
(62) बाजरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(63) भीतरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(64) लाढवनिये ब्राम्हण,
(65) झारोला ब्राम्हण,
(66) अंतरदेवी ब्राम्हण,
(67) गालव ब्राम्हण,
(68) गिरनारे ब्राम्हण

यदि आप और भी गोत्र जानते हैं तो हमें व्हाट्सएप पर मैसेज करें। – Click Here

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now