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Goswami Gotra: गोस्वामी समाज के मठ और गोत्र

गोस्वामी समाज का इतिहास जानें : 
 
गोस्वामी, नाथ समाज पंच देव उपासक एवं शिव को इष्ट मानने वाले ब्राह्मणों का समुदाय है आदि गुरु शंकराचार्य(शंकर नाथ) जो लगभग 2500 वर्ष पूर्व ( ईसा से लगभग 500 वर्ष पूर्व ) आये थे और बौद्ध धर्म मे धर्मांतरण कर रहे सनातनी लोगों को बचाने के लिए विद्वान ब्राह्मणों को साथ लेकर स्मार्त मत तथा अद्वैत वेदांत का प्रचार किया और बौद्ध मत को भारत से उखाड़ फेका व सनातन हिंदू धर्म का पुनरुद्धार किया है।  
 
गोस्वामी ब्राह्मण दशनामी संप्रदाय के ब्राह्मण को कहा जाता है दशनामी संप्रदाय की मूल उत्पत्ति नाथ संप्रदाय से है जिसके संस्थापक भगवान शिव हैं।  
 
नाथ संप्रदाय शैव ब्राह्मणों का प्राचीन संप्रदाय है जिनके अनुयायियों को नाथ गोस्वामी दसनामी योगी, बाबा, जोगी आदि उपनमो से जानते है। जो ब्राह्मण भगवान शंकराचार्य जी के द्वारा सन्यास लेकर परंपरा मे आए और उनसे गुरु शिष्य सन्यास परंपरा चली जिसे नाथ परंपरा कहा तथा जो ब्राह्मण ग्रहस्थ रहते मत का प्रचार कर रहे थे उनसे गोस्वामी ब्राह्मण ,नाथ ब्राह्मण या दशनामी ब्राह्मण परंपरा चली और यही गृहस्थ ब्राह्मण गोस्वामी ब्राह्मण समाज के नाम से जाना जाता है। 
 
गोस्वामी शीर्षक का मतलब गौ अर्थात पांचो इन्द्रयाँ स्वामी या नियंत्रण रखने वाला। इस प्रकार गोस्वामी का अर्थ पांचो इन्द्रयों को वस में रखने वाला हैं। 
 
गोस्वामी समाज सम्पूर्ण भारत समेत नेपाल पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में फैला है गोस्वामी नाथ ब्राह्मण समाज के लोग राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, नेपाल और बांग्लादेश में रहते है। 
 
गोस्वामी समाज के उपनाम जानें : 

  • गिरि  
  • नाथ 
  • पुरी  
  • भारती 
  • योगी  
  • पर्वत 
  • सरस्वती 
  • सागर  
  • वन  
  • अरण्य  
  • आश्रम  
  •  तीर्थ 

जिन संन्यासियों के उपनाम हैं उनके असली नाम जानें : 

  • वशिष्ठ वन 
  • शम्भू अरण्य   
  • गौतम तीर्थ  
  • अनंत आश्रम 
  • नारायण गिरि  
  • राम सागर  
  • पूर्ण पर्वत 
  • परमानंद सरस्वती  
  • हस्तामलक भारती 
  • नित्यानंद पुरी 

गोस्वामी लोग महादेव को इष्टदेव मानकर शिव के साथ कुल पांच देवों के उपासक होते है। ये तीन काल संध्या एवं शिव का पूजन करते है इनके मुख्य कार्य शिवकथा, भागवतकथा, धार्मिक भिक्षा, देवीभागवत आदि होते हैं। भारत नेपाल बांग्लादेश मे सैकड़ों पौराणिक मंदिर समेत हजारों बड़े-बड़े प्रसिद्ध मंदिरों के महंत पुजारी नाथ, योगी या गोस्वामी ब्राह्मण होते हैं।  
 
सनातन धर्म में इनके गुरु महराज जी,गिरि जी, नाथ जी, जोगी बाबा के रूप में प्रसिद्ध हैं। वेद पुराण में इनको गोSशर्यु, वैदिक ब्राह्मण, योगी ब्राह्मण,तपोधन ब्राह्मण, नाथ ब्राह्मण, शिरोजन्मा ब्राह्मण, शिरज ब्राह्मण आदि नामो से जाना जाता है। 
 
गोस्वामी ब्राह्मण गेरुआ (भगवा रंग)वस्त्र पहनते है और गले में 108 रुद्राक्षों की माला तथा ललाट पर चंदन या राख से त्रिपुंड धारण करते हैं ये लोग शिखा एवं जनेऊ धारण करते हैं दशनाम गोस्वामी ब्राह्मणों के लोग "ॐ नमो नारायण" बोलकर अभिवादन करते है। 
 
गोस्वामी समाज की ऊंची जाति : गोसाईं या गोस्वामी ब्राह्मण  
 
गोस्वामी समाज की कुलदेवी : श्री हिंगलाज माता : बलूचिस्तान, पाकिस्तान  
 
गोस्वामी समाज के मठ और गोत्र जानें : 

  दक्षिणा - आम्नाय (दक्षिणी) पश्चिम - आम्नाय (पश्चिमी) पूर्वा - आम्नाय (पूर्वी) उत्तरा - आमनाया (उत्तरी)
मठ - मठ श्रृंगेरी द्वारका जगन्नाथपुरी ज्योतिर्धाम
पद - आदेश पुरी, सरस्वती, भारती तीर्थ, आश्रम वन, अरण्य गिरि, पर्वत, सागर
आचार्य सुरेश्वर हस्तामलक पद्मपद तोटकाचार्य
सम्प्रदाय - संप्रदाय भूरिवारा केरावरा भगवारा आनंदवर
क्षेत्र के रामेश्वर द्वारका पुरुषोत्तम बद्री क्षेत्र
भगवान - देव आदि-वराह सिद्धेश्वर जगन्नाथ नारायण
उपनिषद बृहदअरण्यक छान्दोग्य तैत्रीय मांडूक्य
वेद यजुर्वेद सामवेद ऋक्वेद अथर्व वेद-
महावाक्य अहम्-ब्रह्मास्मि तत्त्वमसि प्रज्ञानं ब्रह्म अयमात्मा ब्रह्म
देवी कामाक्षी - सरदा भद्रकाली विमला पूर्णागिरी
तीर्थ - नदी तुंगभद्रा गोमती तीर्थ महोनाधि अलकनंदा
गोत्र भावेश्वर अधिगाता कश्यप भृगु

मधि गोस्वामी समाज के गोत्र जानें  : 

  • अपारनाथ मादी 
  • बोधेक मादी 
  • रुद्र मधि 
  • नागेन्द्र माधी 
  • कुसमात माधी 
  • मन मादी 
  • मैनध मधी 
  • प्रेमनदी मादी 
  • मादी मादी 
  • सागर माडी 
  • बोध माडी 
  • रतन मादी 
  • सहज मदी 
  • रामदधित मादी 

दशनाम गोस्वामी समाज के ऋषि गोत्र जानें : 
 
वन और अरण्य पूर्व में गोवर्धन महामठ से सम्बद्ध और ऋषि गोत्र कश्यप है तथा तीर्थ और आश्रम पश्चिम में शारदा महामठ (द्वारका) से सम्बद्ध और ऋषि गोत्र अधिगत (अविगत) है वे  गोत्र जानें : 

  • गिरि   
  • सागर   
  • पर्वत  

उत्तर में ज्योतिर्मठ से सम्बद्ध और ऋषि गोत्र भृगु है वे  गोत्र जानें : 

  • सरस्वती   
  • भारती   
  • पुरी  

दक्षिण में श्रृंगेरी महामठ से सम्बद्ध और ऋषि गोत्र भूर्भुवः है। 
 
गोस्वामी समाज के शैव संन्यासी अखाड़े जानें : 

  • महानिर्वाणी  
  • निरंजनी   
  • जूना ( भैरव )   
  • अटल  
  • आनंद  
  • अग्नि 
  • आवाहन  

गोस्वामी समाज के दशनाम शैव संन्यासी अखाड़ों में ली जाने वाली प्रतिज्ञाएं जानें : 

  • अपना तेरा करना नहीं (अर्थात अपने - पराये का भेद नहीं करना) 
  • गांजा, तम्बाकू नहीं पीना (अर्थात नशा नहीं करना)  
  • लोहा, लकड़ी नहीं उठाना (अर्थात झगड़ा नहीं करना) 
  • जिसके पास रहना उसकी सेवा करना  
  • किसी भी चीज/वस्तु पर सामूहिक अधिकार (अर्थात व्यक्तिगत अधिकार नहीं) 
  • अपना अखाड़ा छोड़कर किसी दूसरे के अखाड़े में जाना नहीं 

गोस्वामी समाज के महामठ जानें : 

  • उत्तर में ज्योतिर्मठ : उत्तराखंड   
  • दक्षिण में श्रृंगेरी महामठ : मैसूर , कर्नाटक 
  • पूर्व में गोवर्धन महामठ : पुरी , उड़ीसा 
  • पश्चिम में शारदा महामठ : द्वारका, गुजरात   

गोस्वामी समाज के संन्यासी संप्रदाय जानें :

  • भोगवार : गोवर्धन महामठ से सम्बद्ध 
  • कीटवार : द्वारका महामठ से सम्बद्ध 
  • आनंदवार : ज्योतिर्महामठ से सम्बद्ध 
  • भूरिवार : श्रृंगेरी महामठ से सम्बद्ध 

गोस्वामी समाज की धूनियां जानें : 

  • गोपाल 
  • अजयमेध  
  • दह ( दत्त )  
  • सूर्यमुखी 

गोस्वामी समाज के संन्यासी भेद जानें : 

  • कुटीचक  
  • बहुदक  
  • हंस 
  • परमहँस 

गोस्वामी समाज की अवस्थाएं जानें : 

  • जागृत  
  • स्वप्न   
  • सुषोपति   
  • तुरिया। 

गोस्वामी समाज के भाले जानें : 

  • सूर्य प्रकाश 
  • चन्द्र प्रकाश 
  • दत्त प्रकाश  
  • भैरव प्रकाश 

गोस्वामी समाज की समाधि प्रथा जानें : 
 
दशनाम गोस्वामियों में समाधि लेने की प्रथा दो प्रकार की होती थी जानें : 

  • भूसमाधि  
  • जलसमाधि   

समाधि दो प्रकार से ली जाती थी जानें : 

  • मृत समाधि  
  • जीवित समाधि  

प्राचीनकाल में विरक्तों और गृहस्थों के लिए समाधि ही अंतिम क्रिया थी परंतु विरक्त गोस्वामी समाधि लेते रहे और गृहस्थ गोस्वामियों ने दाहकर्म को अपना लिया। लेकिन राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में समाधि प्रथा चल रही है लेकिन शहरों में गृहस्थ गोस्वामी लोग दाहकर्म कर रहे हैं। 
 
दशनाम गोस्वामी समाज का व्यवसाय जानें : 
 
गोस्वामी समाज का व्यवसाय शैव मठों , शिवालयों और हनुमान मंदिरों पर महंत एवं पुजारी बनना प्रमुख व्यवसाय रहा है लेकिन अब नौकरी , मजदूरी और व्यापार भी करने लग गये हैं।

 

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