क्रिकेटर कपिल देव की जीवनी जानें :
- कपिल देव का जन्म : 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़, भारत में
- कपिल देव पूरा नाम : कपिल देव राम लाल निखंज
- कपिल देव उपनाम : पाजी, हरियाणा हरिकेन
- कपिल देव का पेशा : क्रिकेटर (ऑलराउंडर)
- कपिल देव की बल्लेबाजी : दांए हाथ के बल्लेबाज़
- कपिल देव की बॉलिंग : दायाँ हाथ तेज़-मध्यम गेंदबाज़
- कपिल देव की पत्नी : रोमी भाटिया
क्रिकेटर कपिल देव का जन्म, परिवार, और शिक्षा जानें :
कपिल देव का जन्म 6 जनवर 1959 को चंडीगढ़, भारत में (पिता) राम लाल निखंज और (माता) राज कुमारी राम लाल निखंज के घर हुआ। उनके पिता लकड़ी का व्यापार करते थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं। कपिल देव ने डीएवी स्कूल में पढ़ाई की और 1971 में देश प्रेम आज़ाद (भारतीय क्रिकेट) में शामिल हो गए। और 1980 में कपिल देव ने रोमी भाटिया से विवाह किया। तथा 16 जनवरी 1996 को इस जोड़े ने अमिया देव को जन्म दिया था।
ऑलराउंडर कपिल देव का क्रिकेट करियर जानें :
कपिल देव ने नवंबर 1975 में पंजाब के खिलाफ हरियाणा के साथ क्रिकेट में करियर शुरू किया, हरियाणा ने मैच जीता और कपिल देव ने 30 मैचों में 121 विकेट के साथ सीज़न समाप्त किया था।
कपिल देव ने 1976-1977 के सीज़न में जम्मू कश्मीर के खिलाफ़ खेला, और हरियाणा ने प्री-क्वार्टर फ़ाइनल के लिए क्वालिफाई तो किया लेकिन क्वार्टर फ़ाइनल में बॉम्बे से हार गये।
1977-78 के सीज़न में कपिल देव सर्विसेज़ के खिलाफ़ खेले और 4 मैचों में 23 विकेट लिए। तथा कपिल देव को ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और विल्स ट्रॉफी मैचों के लिए चुना गया।
1978-79 में कपिल देव ने ईरानी ट्रॉफी मैच में शानदार प्रदर्शन किया और उन्होंने नंबर 8 पर 62 रन बनाए थे। दलीप ट्रॉफी के फाइनल में उनके प्रदर्शन की व्यापक सराहना की गई। और उन्होंने देवधर ट्रॉफी और विल्स ट्रॉफी के लिए उत्तर क्षेत्र की टीम में जगह बनाई और पाकिस्तान के खिलाफ़ सीज़न में अपना पहला टेस्ट मैच भी खेला।
1979-80 में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ़ पहला शतक (193) बनाया। और उत्तर प्रदेश के खिलाफ़ पहली बार हरियाणा की कप्तानी की तथा क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचने के लिए पाँच विकेट लिए लेकिन कर्नाटक से मैच हार गए।
1990-1991 के रणजी ट्रॉफी सत्र में चेतन शर्मा की गेंदबाजी और अमरजीत कायपी की बल्लेबाजी ने हरियाणा को बंगाल के खिलाफ सेमीफाइनल में पहुंचाया और कपिल देव ने टीम का नेतृत्व करते हुए 605 रन का स्कोर बनाया।
बॉम्बे के खिलाफ फाइनल मैचआज भी याद किया जाता है क्योंकि इसमें कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर भी शामिल थे। जिनमे हरियाणा की टीम में कपिल देव, चेतन शर्मा, अजय जडेजा और विजय यादव थे और बॉम्बे टीम में संजय मांजरेकर, विनोद कांबली, सचिन तेंदुलकर, दिलीप वेंगसरकर, चंद्रकांत पंडित, सलिल अंकोला और अबे कुरुविला थे। फाइनल हरियाणा ने जीता और यह एकमात्र रणजी ट्रॉफी चैंपियनशिप थी जिसमें कपिल देव खेले थे।
16 अक्टूबर 1978 को कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ पहला टेस्ट क्रिकेट डेब्यू किया। और अपनी खास आउटस्विंगर से सादिक मोहम्मद का विकेट भी लिया। कराची के नेशनल स्टेडियम में तीसरे टेस्ट के दौरान केवल 33 गेंदों में भारत का सबसे तेज टेस्ट अर्धशतक बनाने के बाद उन्हें ऑलराउंडर के रूप में जाना जाने लगा।
दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक (124 गेंदों में 126 रन) बनाया तथा 33 रन पर 17 विकेट भी लिए। और इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट लिए लेकिन इंग्लैंड ने मैच जीत लिया। कपिल देव ने पाकिस्तान दौरे में अपना वनडे क्रिकेट डेब्यू किया। उनका प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा और 1979 क्रिकेट विश्व कप में टीम इंडिया का प्रदर्शन भी प्रभावशाली नहीं रहा।
घरेलू सीरीज में कपिल देव ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 विकेट लिए। तथा पूरी सीरीज में 28 विकेट लिए और 212 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल है।
पाकिस्तान के खिलाफ 6 टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने वानखेड़े स्टेडियम बॉम्बे (69 रन बनाकर) और चेपक मद्रास में 10 विकेट (पहली पारी में 4/90 और दूसरी पारी में 7/56 और 98 गेंदों में 84 रन) हासिल करके भारत को जीत दिलाई थी। तथा सीरीज खेलते हुए 25 मैचों में 100 विकेट और 1000 रन का ऑल-अराउंड डबल हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के टेस्ट खिलाड़ी बनने का भी रिकॉर्ड बनाया था।
1980-81 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान चोटों के बावजूद कपिल देव ने अंतिम दिन खेला और भारत ने मैच जीत लिया था। और फिर ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे में अपना पहला अर्धशतक भी बनाया था।
न्यूजीलैंड के निराशाजनक दौरे के बाद कपिल देव ने 1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज खेली और भारत ने वानखेड़े स्टेडियम बॉम्बे में 5 विकेट के साथ पहला टेस्ट मैच जीता और मैन ऑफ द सीरीज जीती। और 1982 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में उन्होंने मैन ऑफ द सीरीज जीता, इसके बावजूद कि भारत मैच हार गया।
पाकिस्तान के खिलाफ एक निराशाजनक दौरे के बाद कपिल देव को सुनील गावस्कर की जगह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बनाया गया।
वेस्टइंडीज दौरे पर सुनील गावस्कर (90) और कपिल देव (72) की अगुआई में भारत ने महज 47 ओवर में 2 विकेट पर 282 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था। और भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच जीत लिया था।
18 जून 1983 को जिम्बाब्वे के खिलाफ नेविल ग्राउंड पर कपिल देव ने एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड बनाया जो 27 साल तक कायम रहा। तथा 9वें विकेट के लिए खेलते हुए 126 रन बनाकर नाबाद रहे। और भारत ने 31 रन से मैच जीता।
भारत सेमीफाइनल की ओर बढ़ा और इंग्लैंड के खिलाफ खेला तथा भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ जीत हासिल की और वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल में पहुंचे। वेस्टइंडीज विश्व कप खिताब की हैट्रिक की उम्मीद कर रहा था। जब विव रिचर्ड्स स्ट्राइक पर थे तो उन्होंने आक्रामक तरीके से गेंद को मारा जिसे कपिल देव ने 20 गज से अधिक की दूरी से वापस दौड़कर डीप स्क्वायर लेग पर कैच किया। यह विश्व कप इतिहास के सबसे बेहतरीन कैच में से एक थी और 1983 विश्व कप फाइनल में महत्वपूर्ण मोड़ था। वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर आउट हो गई जबकि भारत ने 183 रन बनाए थे।
विश्व कप के बाद भारत ने वेस्टइंडीज के साथ टेस्ट और वनडे सीरीज की मेजबानी की और 3-0 और 5-0 से हार गया। इसके बाद 1984 में कपिल देव की जगह सुनील गावस्कर को कप्तान बनाया।
मार्च 1985 में कपिल देव को फिर से कप्तान बनाया और भारत ने 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती। उन्होंने 1987 के विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की और भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा लेकिन इंग्लैंड से हार गया। फिर कपिल देव ने वर्ष 1994 में संन्यास ले लिया था।
कपिल देव का कोच करियर जानें :
संन्यास के बाद कपिल देव को वर्ष 1999 में भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया। और कोच के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर केवल एक टेस्ट मैच जीता और ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो श्रृंखलाओं में हार का सामना करना पड़ा था।
फिर मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर मैच फिक्सिंग का आरोप भी लगाया जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय कोच के पद से इस्तीफा दिया था। और बाद में उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया गया। और उनकी जगह भारत के पहले विदेशी कोच न्यूजीलैंड के बल्लेबाज जॉन राइट को नियुक्त किया था।
भारत के राष्ट्रीय क्रिकेट कोच के पद से इस्तीफा देने के बाद कपिल देव गेंदबाजी सलाहकार के रूप में फिर से क्रिकेट में लौट आए थे। अक्टूबर 2006 में उन्हें 2 साल के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का अध्यक्ष भी मनोनीत किया गया था।
मई 2007 में वे कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भारतीय क्रिकेट लीग (ICL) में शामिल हुए। तथा ICL की स्थापना ज़ी टीवी ने की थी। फिर जून 2007 में BCCI ने कपिल देव सहित ICL में शामिल होने वाले सभी खिलाड़ियों की पेंशन रद्द कर दी थी। और 21 अगस्त 2007 को कपिल देव को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के अध्यक्ष पद से हटाया गया। तथा यह नवगठित ICL की औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के एक दिन बाद हुआ। 25 जुलाई 2012 को उन्होंने ICL से इस्तीफा दिया और BCCI को अपना समर्थन जारी रखा था।
क्रिकेटर कपिल देव के रिकॉर्ड्स जानें :
टेस्ट क्रिकेट रिकॉर्ड्स :
1. 1994 में उन्होंने सर रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़ा और दुनिया में सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने। इसके बाद 1999 में कोर्टनी वॉल्श ने कपिल देव का रिकॉर्ड तोड़ा था।
2. कपिल देव दुनिया के एकमात्र खिलाड़ी है जिन्होंने 4,000 टेस्ट रन और 400 टेस्ट विकेट का ऑलराउंडर डबल हासिल किया है।
3. कपिल देव के करियर की सर्वाधिक 184 नॉट आउट पारीया।
4. कपिल देव 100 विकेट लेने वाले सबसे युवा क्रिकेटर (21 वर्ष), 200 विकेट (24 वर्ष) और 300 विकेट (27 वर्ष) की उम्र में हासिल किये।
5. टेस्ट पारी में 9 विकेट लेने वाले एकमात्र कप्तान (9/83) भी।
वनडे क्रिकेट रिकॉर्ड्स :
1. कपिल देव 1978 से 1994 के दौरान एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले एकमात्र गेंदबाज थे।
2. 22 मार्च 1985 को शीर्ष रेटिंग (631) ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान के खिलाफ विश्व सीरीज फाइनल के बाद अब तक की सर्वोच्च रेटिंग प्राप्त करने वाले खिलाड़ी।
3. कपिल देव ने विश्व कप में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए सर्वोच्च एकदिवसीय स्कोर नाबाद 175 रन बनाये थे।
क्रिकेटर कपिल देव को मिले पुरस्कार और सम्मान जानें :
1. अर्जुन पुरस्कार - 1979-80
2. पद्म श्री - 1982
3. विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर - 1983
4. पद्म भूषण - 1991
5. विजडन इंडियन क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी - 2002
6. आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम - 2010
7. एनडीटीवी द्वारा भारत में 25 महानतम वैश्विक जीवित किंवदंतियाँ - 2013
8. सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार - 2013
9. कपिल देव को 2008 में भारतीय प्रादेशिक सेना द्वारा लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से भी सम्मानित किया गया।
क्रिकेटर कपिल देव की पुस्तकें जानें :
1. ईश्वर के आदेश से - 1985
2. क्रिकेट माई स्टाइल - 1987
3. स्ट्रेट फ्रॉम द हार्ट - 2004
4. हम, सिख - 2019
क्रिकेटर कपिल देव का क्रिकेट के अलावा करियर जानें :
24 सितंबर 2008 को कपिल देव भारतीय प्रादेशिक सेना में शामिल हुए। तथा थल सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर नियुक्त किया था। और देव मानद अधिकारी के रूप में सेना में शामिल हुए।
2019 में कपिल देव को हरियाणा खेल विश्वविद्यालय का पहला चांसलर भी नियुक्त किया गया था।